भर्तृहरि शतकम् ऐप्प में आप लोगों का स्वागत है।
इसके अन्दर आपको राजा भर्तृहरि जी के तीन ग्रन्थ पढ़ने को मिलेंगे जिन्हें शतकत्रयम् भी कहा जाता है। शतकत्रयम् तीनों ग्रन्थों का सामूहिक नाम है। इनके अलग अलग नाम है-
1. नीति शतकम्
2. श्रृंगार शतकम्
3. वैराग्य शतकम्
इन तीन ग्रन्थों में भर्तृहरि जी ने अपने पूरे जीवन के अनुभव लिख डाले हैं। जिन्हें पढ़कर ऐसा लगता है कि जैसे हमारे सामने ही घटित हुई हो कोई घटना या हमारे साथ ही घटित हुई हो। कहने का तात्पर्य है कि उन्होंने जो लिखा वो बिल्कुल हमारे जीवन के साथ घटने वाली सत्य घटना पर आधारित है। पढ़ेंगे तो लगेगा कि ' मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ है या होता है' ।
इसका यह कारण है कि भर्तृहरि जी ने जीवन के हर मोड़ को जिया है। वे ब्रह्मचारी भी रहे हैं, वे गृहस्थी भी रहे हैं और वे वानप्रस्थ लेकर जंगल में भी रहे हैं और कहते हैं कि वे कई बार फिर से गृहस्थ आश्रम में आये तथा पुनः संन्यास लिए फिर गृहस्थ में आये। अर्थात् चारों आश्रमों में वे बहुत बार रहे। यह बात कितनी सत्य है यह तो कह नहीं सकते। परन्तु उनके अनुभव को पढ़कर ऐसा लगता है।
आप भी पढ़कर देखें और निर्णय करें या अनुभव करें कि क्या वास्तव में ऐसा होता है जीवन में।
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धन्यवाद।