व्रत, धर्म का साधन माना गया है। संसार के समस्त धर्मों ने किसी न किसी रूप में व्रत और उपवास को अपनाया है। व्रत के आचरण से पापों का नाश, पुण्य का उदय, शरीर और मन की शुद्धि, अभिलषित मनोरथ की प्राप्ति और शांति तथा परम पुरुषार्थ की सिद्धि होती है। अनेक प्रकार के व्रतों में सर्वप्रथम वेद के द्वारा प्रतिपादित अग्नि की उपासना रूपी व्रत देखने में आता है। इस उपासना के पूर्व विधानपूर्वक अग्निपरिग्रह आवश्यक होता
बारह मास की पवित्र कथाओं का संग्रह
1️⃣भगवान शंकर से सम्बंधित व्रत.
2️⃣माताजी से सम्बंधित प्रतिज्ञा.
3️⃣इष्ट देव से सम्बंधित अन्य व्रत।
4️⃣द्विवार्षिक एकादशियाँ।
5️⃣संक्षिप्त प्रतिज्ञाएँ.
6️⃣त्योहार की प्रतिज्ञा.