जब बेटी का जन्म होता है, सच बहुत कड़वा है,
शिक्षित वर्ग भी नहीं पीछे, बेटों की चाह, अपने हक़ से महरूम,
घटती तादाद चिंता का विषय, क्या कहता है क़ानून?,
मानसिकता बदलने की ज़रूरत, बेटी पराया धन, सामाजिक परंपरा,
नारीवादियों का यह कहना, वारिस शब्द का अर्थ,
वारिस के रूप में बेटा क्यों?, रंग लाती सरकारी मुहिम,
बेटी का जन्म सौभाग्य की बात, बेटियों के विवाह की चिंता,
गुणवान होना अधिक महत्वपूर्ण, पर्याप्त मात्रा में भोजन,
उच्च शिक्षा का महत्व, बेटी है तो कल है,
बेटियां घर की लक्ष्मी होती है, सम्मान का संघर्ष,
समाज का सामूहिक उत्त्तरदायित्व, आत्मसम्मान और स्वार्थ में अंतर,
रोल को ग़लत ढंग से समझाना, अपराधबोध महसूस कराना,
स्वयं भी हैं ज़िम्मेदार, बदलाव की शुरुआत, निशाने पर महिलाएं