मछली उत्पादकों, उपभोक्ताओं, व्यापारियों और प्रोसेसरों के लिए | ग्रामश्री मतस्य सेवा केंद्र में मछली पालन के विभिन्न तरीकों की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है| मछली पालन से सम्बन्धित सारी जानकारी और समस्याओं का हल हमारे ऐप पर उपलब्ध है| मतस्य उद्यमिता को बढावा देने के लिये हमारा कॉल सेंटर है जिसके माध्यम से हम आपको मतस्य क्षेत्र के उम्दा विशेषज्ञों और चिकित्सकों से कनेक्ट करते हैं।
किस प्रकार के सेवाए ग्रामश्री मछली पालन App के द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं ?
ट्रेनिंग
कंसल्टेंसी
सप्लाई
टेक्नोलॉजी
ट्रेनिंग- मछली पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम, मछली पालन जागरूकता प्रशिक्षण कार्यक्रम, मछली पालन उद्यमिता प्रशिक्षण, तालाब प्रबंधन, छोटे और बड़े तालाब में मछली पालन, मछली पालन और प्रोद्योगिकी, बायोफ्लॉक, RAS, ओर्नामेंटल फिशरी।
कंसल्टेंसी- मछली पालन उद्यमिता, मछली का चुनाव और पहचान, मछली पालन से लाभ, मछली पालन में प्रोद्योगिकी, आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता, profile- loss analysis, FPO का निर्माण, मछली पालन में उपयोग की जाने वाली वस्तुयों और मशीनरी का खरीद- बिक्री केंद्र, तालाब/बिओफ्लोक/RAS का निर्माण और प्रबंधन, एक्स्पर्ट( expert) से सलाह, मछलियों के डॉक्टर, मछलियों में होने वाली बीमारियाँ/संक्रमण और उनसे बचाव के उपाय, कॉल सेंटर द्वारा विशेषज्ञों से सलाह।
सप्लाई- मछली का बीज , फीड(खाना), ब्रीड, मछली पालन में उपयोग की जाने वाली वस्तुयों और मशीनरी का खरीद- बिक्री केंद्र, बिओफ्लोक, RAS और ओर्नामेंतल फिशरी में इस्तेमाल की जाने वाली सारी वस्तुयें।
टेक्नोलॉजी
1.Biofloc
2.RAS
3.Pond Culture
4.Solar Dryers
5.Fish Descaling Machines
6.Modern Hygienic Mobile fish vending kiosk
7.Indigenous sensors
8.Electronics and Instrumentation
9.environmental data acquisition system
10.freezer temperature monitor
11.salinity temperature depth meter
12.hydro meteorological data acquisition system
water level recorder
13.Micro algae concentration monitor
14.Remote operated soil moisture meter
15.Rheometer
मछली पालन एक उद्योग
भारतीय अर्थव्यवस्था में मछली पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है जिसमें रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। ग्रामीण विकास एवं अर्थव्यवस्था में मछली पालन की महत्वपूर्ण भूमिका है। मछली पालन के द्वारा रोजगार सृजन तथा आय में वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं, ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े हुए लोगों में आमतौर पर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़े, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य कमजोर तबके के हैं जिनका जीवन-स्तर इस व्यवसाय को बढ़ावा देने से उठ सकता है। मत्स्योद्योग एक महत्वपूर्ण उद्योग के अंतर्गत आता है तथा इस उद्योग को शुरू करने के लिए कम पूंजी की आवश्यकता होती है। इस कारण इस उद्योग को आसानी से शुरू किया जा सकता है। मत्स्योद्योग के विकास से जहां एक ओर खाद्य समस्या सुधरेगी वहीं दूसरी ओर विदेशी मुद्रा अर्जित होगी जिससे अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। स्वतंत्रता के पश्चात् देश में मछली पालन में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 1950-51 में देश में मछली का कुल उत्पादन 7.5 लाख टन था, जबकि 2004-05 में यह उत्पादन 63.04 लाख टन हो गया। भारत विश्व में मछली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और अंतर्देशीय मत्स्य पालन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। मत्स्य क्षेत्र देश में 11 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
सुलभ, सस्ता और अधिक आय देने वाला
किसानों के पास अक्सर छोटी जमीन होती है, यदि किसान इस छोटी सी जमीन पर कोई फसल उगाते हैं तो उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं होता परन्तु अगर 1 कट्ठे, 2 कट्ठे ,10 कट्ठे की छोटी जमीन पर अगर किसान मछली पालन करता है तो ज्यादा मुनाफा कमा सकता है | कृषि एक मौसमी व्यवसाय है, किसान साल में केवल एक या दो फसल ही उगा पाते हैं |
अगर किसान कृषि के साथ साथ , मछली पालन भी करें तो कमाएंगे दुगुना मुनाफा |
तालाब का पानी ,खेती में सिंचाई का बहुत अच्छा माध्यम बन जाता है |
किनारे की मेड़ों पर केले या पपीते की खेती की जा सकती है जिससे अतिरिक्त मुनाफा कमाया जा सकता है |
महिला उद्यमी
महिलाओं द्वारा स्वसहायता समूहों का गठन कर विभिन्न रोजगार अपनाकर एक-दूसरे के सहयोग से कार्य कर अपना आर्थिक स्तर तो सुधारा ही है तथा समाज को एक सूत्र में बांधने में काफी सफलता हासिल की है।