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?जब तक हम किसी भी काम को करने की कोशिश नहीं करते हैं, तब तक हमें वो काम नामुमकिन ही लगता है । कौन हिसाब रखे किसको कितना दिया, और कौन कितना बचायेगा, इसलिए ईश्वर ने आसान गणित लगाया, सबको
?झूठ बोलना भी एक कला है, जिसमें इंसान अपने बुने हुए जाल में फँसता भी खुद है और उलझता भी खुद है।
?निशब्द हो जाता हूँ जब देखता हूँ दो घड़ी की रोटी के लिए इतनी मेहनत और… एक हम नमक ज्यादा है, कहकर थाली खिसका देते है।
?किसी के घर जाओ तो अपनी “आंखो” को इतना काबू में रखो कि उसके “सत्कार” के अलावा उसकी “कमियाँ” न दिखे और जब उसके घर से निकलो तो अपनी “ज़ुबान” काबू में रखो ताकि उसके घर की “इज़्ज़त” और “राज़” दोनो सलामत रहे।
?कटी हुई टहनियाँ भी कहाँ पर छांव देती है, हद से ज्यादा उम्मीदें हमेशा घाव ही देती है। जब तक किसी काम को किया नही जाता तब तक वह असंभव लगता है। अगर वो आपको याद नहीं करते तो आप याद कर लीजियें रिश्ते निभाते वक्त मुकाबला नहीं किया जाता!
?मधुर वाणी बोलना एक महँगा शौक है, जो हर किसी के बस की बात नहीं! अपने खराब मूड के समय बुरे शब्द न बोलें, क्योंकि खराब मूड को बदलने के बहुत मौके मिलेंगें पर… शब्दों को बदलने के नहीं !!
?जलील मत करना किसी गरीब को अपनी चौखट पर वो सिर्फ भीख लेने नहीं दुआ देने भी आता है!!
?कठोर किंतु सत्य ?? माचिस किसी दूसरी चीज को जलाने से पहले खुद को जलाती हैं..! *गुस्सा* भी एक माचिस की तरह है..! यह दुसरो को बरबाद करने से पहले खुद को बरबाद करता है
?यदि आप के चंद मीठे बोलों से किसी का रक्त बढ़ता है तो यह भी रक्त दान है यदि आप के द्वारा किसी की पीठ थपथपाने से उसकी थकावट दूर होती है तो यह भी श्रम दान है यदि आप कुछ भी खाते समय उतना ही प्लेट में लें कि कुछ भी व्यर्थ ना जाए
?छोटी छोटी खुशियां ही तो जीने का सहारा बनती है ।। ख्वाहिशों का क्या वो तो पल-पल बदलती है।।
?आप कब सही थे इसे कोई याद नहीं रखता, आप कब गलत थे इसे कोई नहीं भूलता!
?सबको गिला है, बहुत कम मिला है, जरा सोचिए… जितना आपको मिला है, उतना कितनों को मिला है
?कुछ लोग तो आपसे सिर्फ इसलिए भी नफरत करते हैं, क्योंकि… बहुत सारे लोग आपसे प्यार करते है ।।
?जिस धागे की गांठें खुल सकती हैं उस धागे पर कैंची नहीं चलानी चाहिए।
?बड़प्पन वह गुण है, जो पद से नहीं संस्कारों से प्राप्त होता है परायों को अपना बनाना उतना मुश्किल नहीं, जितना अपनों को अपना बनाए रखना होता है।
?!! उत्तम विचार !!….. प्रभु न दंड देते है, प्रभु न माफ करते है, वह तो कर्म-फल के तराजू है… जो बस इंसाफ करते है सुख-दुख का बटन तेरे हाथ में है बन्दे, तुम उसे खुद ही ऑन करते हो और ऑफ करते हो ईश्चर के न्याय की चक्की धीमी जरूर चलती है पर पीसती…
?शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे होते हैं, खुद जहा है वही पर रहते हैं, पर दूसरों को उनकीं मंजिल तक पहुंचा ही देते हैं।
?आज का विचार? स्नान तन को ध्यान मन को दान धन को योग जीवन को प्रार्थना आत्मा को व्रत स्वास्थ को क्षमा रिश्तो को और परोपकार किस्मत को शुद्ध कर देता है।।
?खुद से बहस करोगे तो सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे ! अगर दुसरो से करोगे तो और नये सवाल खड़े हो जायेंगे !! जब मनुष्य अपनी ग़लती का वक़ील और दूसरों की गलतियों का जज बन जाता है तो फैसले नही फासले हो जाते है!!
?इज्जत और तारीफ मांगी नही जाती, कमाई जाती है नेत्र केवल दृष्टि प्रदान करते है परंतु हम कहाँ क्या देखते है यह हमारे मन की भावना पर निर्भर है ॥
?उत्तम विचार मनुष्य को उसके कर्म ही दण्डित करते है और उसके कर्म ही उसे पुरस्कृत करते है, मनुष्य व्यर्थ ही ईश्वर को अपने दुखों का दोषी ठहराता है। व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मो का फल खुद ही भुगतता है।
?शमशन की राख देख के मन में एक ख्याल आया… सिर्फ राख होने के लिए इंसान जिंदगी भर दूसरे से कितना जलता है