सूरदास का जन्म रुनकता ग्राम में 1483 ई में पंडित रामदास जी के घर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे श्री कृष्ण के भक्त थे। वे भक्ति काल के प्रमुख कवि थे। उन्हें हिंदी साहित्य का विद्वान कहा जाता है। सूरदास की रचनाओं में कृष्ण भक्ति का उल्लेख मिलता है।
श्री कृष्ण की बाल लीलाएं और बचपन की कहानियों का उन्होंने सुंदर वर्णन किया है। उनकी रचनाएं भारतीय साहित्य और कक्षा 8, 10, 11, 12 में अत्यंत लोकप्रिय हैं। वे जन्म से अंधे थे या नहीं थे इस पर विद्वानों में मतभेद है परंतु उन्हें भाषा का अच्छा ज्ञान था।
साहित्य और कला के क्षेत्र में सूरदास जी का अद्वितीय योगदान रहा है। सूरदास जी एक महान संत और साहित्यकार थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं से कृष्ण भक्ति की तरफ़ लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
कवि सूरदास जी की रचनाओं में बेहद मार्मिक ढंग से भक्ति भाव का उल्लेख मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि सूरदास जी जन्म से ही अंधे थे, लेकिन उनके द्वारा लिखी गई रचनाएं कई लोगों के मन में यह सवाल पैदा करती हैं कि बिना आंख के कोई इतना स्पष्ट और अनोखी रचनाएं कैसे कर सकता है।